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नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 अपना अपना फर्ज( भाग 28)



     शीर्षक :- अपना अपना फर्ज
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             अरे पापा आप अभी तक तैयार नहीं हुए। बैग कहां है? आपका। चलिए मैं पैक करती हूं।  उनकी बेटी आशा ने अपने पापा से पूछा।     

          सुरेश बाबू ने एक उदास नजर  आशा पर डाली  और बोले," बेटा मैं कहीं नहीं जाऊंगा। ये घर तेरी मां की यादों से भरा हुआ है। मै यहुं ठीक हूँ।"

                  "आशा की ‌आंखे भर आई वह  बोली,: पापा मां को गये छह महीने हो गए हैं आपकी तबियत भी ठीक नहीं है ऐसे में मैं आपको अकेले नहीं छोड़ सकती।आप मेरे घर चल रहे हैं मेरे साथ।  " 

                   "बेटा मैं तेरे घर कैसे रह सकता हूं? "  सुरेश बाबू ने जबाब देते हुए कहा।

         आशा ने पूछा," क्यौ ?"

            "बेटी के घर का तो लोग पानी तक नहीं पीते हैं। फिर वहां तेरे सास ससुर भी हैं ।उन्हें मेरा वहां रहना कैसे अच्छा लग सकता है।आखिर हूं तो मैं एक बाहरी आदमी।" सुरेश बाबू बोले।

               " पापा वो लोग ऐसे नहीं हैं वो  कितने अच्छे है ?"आशा अपने पापा हाथ अपने हाथ में लेकर बैठ गई। वह आगे बोली,"पिछली बार आपको शुगर का अटैक आया था कितनी मुश्किल से ठीक... कहते हुए उसकी आंखों में आंसू आ गए। पापा मैं आपकी इकलौती बेटी हूं।आपकी सारी जिम्मेदारी अब मेरी है। बस मैं और कुछ नहीं सुनुंगी। "

                सुरेश बाबू सोच में डूब गए  क्यौकि दामाद जी ने तो एक बार भी नहीं कहा। हां ये जरूर कहा था कि पापा हम आते रहेंगे आपसे मिलने।   

           "बेटी तूने दामाद जी को पूछा?" 

                 " अरे पापा उनकी और मेरी राय अलग थोडे़ ही है।      इतना कहकर वह अपने पापाजी  को जबरन लेकर अपने घर आ गई। उसके सास-ससुर समधी को देख कर चौंक गए। विकास ने भी पैर छुए और कहा ,"अच्छा किया पापा जो आप कुछ दिन के लिए यहां आ ग‌ए। "

                   सुरेश बाबू रहने तो लगे पर उन्हें लग‌ रहा‌ था कि शायद दामाद और उनके माता-पिता उनके यहां आने से खुश नहीं हैं। एक दिन  वह लॉन में घूम रहे थे कि अचानक उन्हें विकास की आवाज सुनाई दी।

            "आशा  पापा यहां पर कब तक रहेंगे। " विकास ने अपनी पत्नी से पूछा।

               " ऐसा क्यों पूछ रहे हैं आप। वहां पर उनका है ही कौन‌ और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है।  " आशा बोली।

               "अरे तुम समझ नहीं रही हो हमें तो अपने घर में ही अजीब सा महसूस होने लगा है।  " विकास  बोला।

              "तुम  वहां पर उनकी अच्छी व्यवस्था कर सकती हो।" विकास  अपनी पत्नी से बोला।

                 सुरेश बाबू और नहीं सुन सके कांपते हुए कदमों से वापस अपने कमरे में आ ग‌ए। अगले दिन जाने की तैयारी करने लगे।

             आशा बोली ,"पापा ऐसे कैसे जायेंगे आप?"

                    सुरेश बाबू उसे ‌डांटने लगे और बोले  ,"मेरी फिजूल में चिंता मत करो अपने पति और सास ससुर का ध्यान रखो बेटा मैं अपना ख्याल खुद रख सकता हूं। बेटीबहुत दिन हो गए अब जाना चाहिेए । "

                      "    मैं विकास  से बात करती हूं। अभी आपकी तबियत ठीक नहीं है। जब आप ठीक हो जाएंगे तो मैं आपको खुद छोड़ आऊंगी। " आशा बोली।


                      आशा सोच रही थी कि पापा को किसी ने कुछ तो कहा है। नाश्ता करने के बाद उसने कहा आज पापा जा रहे हैं।वह अपने सास, ससुर और  अपने पति का चेहरा देख रही थी कि उनके चेहरे पर चमक आ गई थी। तभी उसने कहा कि मैंने एक फैसला किया है कि पापा इतनी बड़ी कोठी में अकेले कैसे रहेंगे। सोच रही हूं कि गरीब बच्चों के लिए उसमें एक छोटा-सा स्कूल खोल दिया जाय। 

              पापा और मैं मिल कर एक ट्रस्ट बनाएंगे ताकि पापा के बाद भी स्कूल चलता रहे। और पापा आपकी वो जमीन पडी़ है उसे बेच देते हैं दो करोड़ की वैल्यू है उसकी उसे ट्रस्ट के फंड में जमा कर देंगे उसके इंट्रेस्ट से उन गरीब बच्चों की फीस में मदद करेंगे जो कुछ करना चाहते हैं उसमें योगदान देंगे। बाकी आपकी पेंशन और फंड आपके लिए बहुत है। पापा मैं आज से ही इस पर काम शुरू करती हूं।  " आशा बोली।

                    सुरेश बाबू हतप्रभ हो कर उसे देख रहे थे।

                   विकास की आंखों के सामने तो अंधेरा छा गया उसके मम्मी पापा का मुंह खुला रह गया। मन ही मन हिसाब करने लगा पांच करोड़ की कोठी दो करोड़ की जमीन और फंड इतना बड़ा नुकसान। 


              जब‌  आशा अपने पापा को छोड़कर लौटी तो  विकास उसका इंतजार कर रहा था। 
    
               "ये सब क्या बकवास कर रही थी तुम।" विकास ने पूछा।

               "आशा मुसकरायी और बोली," ये बकवास नहीं सच है। ऐसा मैं इसलिए करूंगी कि किसी को भी मेरे पिता की मौत का इंतजार न रहे। पापा ने मेरी शादी पर ऐसी कौन सी चीज है जो नहीं दी । "

                 विकास  गुस्से से बोला ,"ये तो उनका फर्ज था।"

              "फर्ज सिर्फ लड़की के बाप का होता है। क्योंकि उसने लड़की पैदा करने की गलती की है। मैं अपने पापा की इकलौती बेटी हूं। तो क्या मेरा फर्ज नहीं था उनकी देखभाल करने का वो भी ऐसे वक्त में जब उनकी तबीयत ठीक नहीं है। और उन्हें सहारे की जरूरत है।  आशा ने जबाब दिया।

                "माफी चाहती हूं कि उनके कुछ दिन यहां रहने से सबको तकलीफ हुई। मैंने कभी तुम्हें  फर्ज निभाने से नहीं रोका। अपने सास ससुर की सेवा में भी कोई कमी नहीं रखी। तुम मुझे मेरे पिता के प्रति मेरा फर्ज निभाने से नहीं रोक सकते। :उसकी आवाज में दृढ़ता थी ,  विकास खामोश हो कर उसे देख रहा था।"

                  अब विकास की समझ में आगया था कि उसे भी अपना फर्ज भूलना नहीं चाहिए। सभी को अपना अपना फर्ज याद रखना चाहिए।

नान स्टाप राइटिंग चेलेंज के लिए रचना।

नरेश शर्मा " प

   

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6 Comments

Palak chopra

03-Nov-2022 03:34 PM

Shandar 🌸

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Haaya meer

31-Oct-2022 08:57 PM

Amazing

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Sachin dev

31-Oct-2022 07:46 PM

Nice

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